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पूर्ण और संतुलित आहार --भारतीय थाली।

लेखक की तस्वीर: Gauri ShingoteGauri Shingote

भारतीय थाली जो पारंपारिक खाना धातूकी प्लेट में परोसा जाता है वह उसकी विविधता और संतुलित आहार तत्वोंकी रचनाकेलिए प्रसिद्ध है। अनेक प्रकार के व्यंजन उसमें समाविष्ट होते हैं,जैसे अलग अलग सब्जियां,दाल,कठोर, दूध से बने पदार्थ।यह थाली अनेक विध स्वादोंका और रचनाओंका सुसंगत मिश्रण है जो जरूरी पोषक तत्व देता है। यहां पांच ऊदाहरण दे रहे हैं जो भारतीय थाली को पुर्णान्न का दर्जा देते हैं।





१)      विविध सुक्ष्म पोषक तत्व ------ भारतीय थाली में आम तौर पर सब्जियां,जैसे पालक,भिंडी,आलू,और टमाटर है जो जरूरी जिवनसत्व और खनिज पदार्थ देते हैं।यह सुक्ष्म पोषक तत्व अपना सर्वसाधारण स्वास्थ्य रखने केलिए और शरीर बढनेके लिए काम करते हैं। अतिरिक्त विविध मसालें और ताजे मसाले जैसे हल्दी,जिरा, धनिया,कढिपत्ता सिर्फ स्वाद ही नहीं बढाते बल्की सुक्ष्मपोषकतत्वोँकी जरूरतभी पुरी करते हैं। जैसे ॲंटीऑक्सिडंट्स,और ॲंटी इन्फ्लेमेटरी (सुजनविरोधक)गुणधर्म है।

२)     प्रथिनयुक्त पदार्थ ---------------छिलकेवालेकठोर,दाल,और दुग्धजन्य पदार्थ यह भारतीय थाली में प्रथिनोंके स्त्रोत हैं।दाल और कठोर मुख्यतः वनस्पति जन्य प्रथिनं है।उनमें तंतूमय पदार्थ और कर्बोदक भी है।पनीर और दही भी थालीका हिस्सा है जो उच्चप्रतिके प्रथिन और कॅल्शियमका खजाना है।दाल-चावल या दाल- रोटी खाना वनस्पतिजन्य प्रथिनोँ का स्त्रोत है।यह प्रथिनोंसे भरे हुए पदार्थ स्नायूओंके जतनकेलिए,मआंसतंतूओंकए दुरुस्ती केलिए और पुरे शरीरके स्वास्थ केलिए जरूरी है।

३)     संतुलित कर्बोदक---                 भारतीय थाली में अक्सर पुरे अनाज और पिसे हुए अनाजका सहभाग होता है जैसे चावल पुरे अनाज और पिसे हुए गेहूं,बाजरा,जोवार,रागी की रोटी या नान होते हैं।इनसे तुरंत ताकत मिलती हैं। इनसे फायबर (तंतूयुक्त पदार्थ),जीवनसत्व और खनिज पदार्थ मिलते हैं। इससे ताकत भी बढ़ेगी और पाचन-क्रिया भी अच्छी रहेगी।दाल और कठोरके प्रथिनोंसे रक्तशर्करा भी संतुलित रहती हैं।

४)     आरोग्यदायक स्निग्ध पदार्थ --- थालीके बहुत सारे व्यंजन शरीरको उपयुक्त तेल में बनाए जाते हैं जैसे राईका तेल, नारियल तेल,या शुध्द तुप।यह सिर्फ स्वादही नहीं बढाते बल्कि ऊनमें जरूरी फॅटीॲसीड्स ऒमेगा-३ और ओमेगा-६ होते हैं।इसके अलावा खाने में बादाम,अखरोड,काजू,पिस्ते और कई प्रकार के बीज भी रहते हैं जो उपयुक्त चरबीसे भरे हुए हैं और हृदय, मस्तिष्क,और पुरे शरीरके स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त है।

५)     सांस्कृतिक और प्रादेशिक विविधता ---_------------+।     भारतीय थाली हर प्रदेश के अनुसार अलग अलग होती हैं।जिससे वहांकी संस्कृति और उपलब्धता दिखाई देती है।उससे पोषकतत्वोंकी विविधता दिखाई देती है। क्योंकि अलग-अलग प्रांतोमें अलग अलग फसल आती हैं,ऊपलब्धता होती हैं और व्यंजन बनानेके तरीकेभी अलग अलग हैं। जैसे समुद्र किनारे की प्रांतों में समुद्र की उपलब्धता जैसे मछली,नारियल के पेड़ अधिक होनेकी वजहसे नारियलसे बनेहुए व्यंजन होंगें। उत्तर प्रदेश में गेहूकी रोटीके प्रकार और दुग्धजन्य पदार्थ जादा होते हैं।

इस विविधता के कारण संतुलित पोषक तत्वों से भरपूर खानेका अनुभव होता है। सब्जियों की विविधता से और प्रथिनयुक्त पदार्थों से कर्बोदक संतुलित रहते हैं।

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